Wednesday, December 05, 2012

धूप से गपशप


धूप से गपशप


डॉ स़ुधा गुप्ता

ईशान प्रकाशन, १७ शिवपुरी, निकट पुराना ईब्ज सिनेमा, मेरठ उ०प्र०

प्रथम संस्करण २००२
पक्की जिल्द
 पृष्ठ १२०
मूल्य १०० रुपए
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हिन्दी हाइकु कविता को अत्यन्त गम्भीरता से लेने वालों में डॉ0 सुधा गुप्ता का नाम अग्रणी पंक्ति में आता है। खुशबू का सफर, लकड़ी का बस्ता, तरु देवता पाँखी पुरोहित, कूकी जो पिकी, चाँदी के अरघे में  हाइकु संग्रहों के बाद सुधा गुप्ता का नया हाइकु संग्रह ‘धूप से गपशप’ प्रकाशित हुआ है। बहुरंगी आकर्षक आवरण, पक्की जिल्द और अच्छे स्तर के कागज पर साफ-सुथरा त्रुटिहीन मुद्रण प्रथम दृष्टि में ही पुस्तक पढ़ने के लिए मन को ललचाता है। इस संग्रह में सुधा जी के 222 ताजा़ हाइकु हैं और अन्त में 5 हाइकु गीत भी हैं। वर्तमान समय में रातोंरात हजारों हाइकु लिखकर संग्रह छपवाने की होड़ में ऐसे तथाकथित हाइकु संग्रह आ रहे हैं जिनमें समीक्षा लिखने के लिए प्रयास करके खोजने पर भी चार-छः अच्छे हाइकु नहीं मिल पाते वहीं डॉ० सुधा गुप्ता के संग्रह में प्रयास करके खोजने पर ही चार-छः कमजोर हाइकु मिल पाते हैं। सुधा जी के हाइकु प्रतीकों को लिए हुए हैं जो सहजता से खुलते हैं और पढ़ते समय एक जीवन्त बिम्ब उपस्थित कर देते हैं। यही हाइकु का मर्म है और यही उसमें निहित काव्य का भाव सौन्दर्य। हाइकु से जुड़े गम्भीर रचनाकारों तथा हाइकु प्रेमियों को धूप से गपशप अवश्य करनी चाहिये। हाइकु कविता की यह कुनकुनी धूप आपको जाड़े की धूप जैसा सुखद अहसास करायेगी। सुधा गुप्ता जहाँ-जहाँ प्रकृति का मानवीकरण करके उसे हाइकु में जीवन्त करती हैं वहाँ उनके हाइकु, काव्य रस से लबालब सकोरे बन जाते हैं। कुछ हाइकु दृष्टव्य हैं-
माघ बेचारा / कोहरे की गठरी /  उठाए फिरे। (पृ0-08)
शैतान बच्ची / मौलसिरी के पेड़ / चढ़ी है धूप। (पृ0-17)
चिड़िया रानी / चार कनी बाजरा / दो घूँट पानी। (पृ0-37)
ऐसे अनेक हाइकु इस संग्रह में उपस्थित है। संग्रह के अन्त में पाँच हाइकु गीत भी प्रकाशित हुए हैं। हाइकु छन्द में ‘हाइकु गीत’ लिखने का प्रयोग एक नया प्रयोग है। पाँचों हाइकु गीतों से यदि ‘हाइकु गीत’ शीर्षक हटा दिया जाए तो वे हाइकु ही हैं और विशुद्ध हाइकु। इनके लिए दिया गया ‘हाइकु गीत’ नाम बहुत प्रासंगिक नहीं लगता।
हाइकु संग्रहों की तमाम भीड़ में ‘धूप से गपशप’ कुहासे के बीच बैठकर पाठकों के साथ तब तक गपशप करेगी जब तक कि कोई और ऐसा ही संग्रह नहीं आ जाता। 120 पृष्ठ की पक्की जिल्द वाली आकर्षक पुस्तक का मूल्य 100 रुपए है जो उचित है।

- (हाइकु दर्पण, अंक ३ से साभार)



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