आचमन
डॉ० बिंदूजी महाराज 'बिंदू'
१३-३-३९१ निर्वाण अखाड़ा, पुरानापुल, हैदराबाद (आ०प्र०), प्रथम संस्करण २००१, पेपर बैक, पृष्ठ ९०, मूल्य १०० रुपए।
डॉ0 बिन्दूजी महाराज ‘बिन्दू’ का प्रथम हाइकु संग्रह ‘आचमन’ 2001 में प्रकाशित हुआ है। मुख पृष्ठ पर भगवान शिव का आकर्षक चित्र छापा गया है। प्रथम दृष्टि में पुस्तक ध्ाार्मिक पुस्तक सी लगती है। इस संग्रह में बिन्दू जी की 525 हाइकु कविताएँ हैं। बिन्दू जी से भविष्य में और अच्छे हाइकु मिलेंगे ऐसा विश्वास है। अधिकांश हाइकु दैनिक जीवन, राजनीति, आचार-विचार, क्षरण होते जा रहे मानवीय मूल्यों पर केन्द्रित हैं जिन्हें सरल भाषा और सपाट वयानी के साथ प्रस्तुत किया गया है। अधिकतर हाइकु सामान्य कथन से लगते हैं। कुछ ही हाइकु इस संग्रह में ऐसे हैं जो अपना प्रभाव छोड़ पाने में सक्षम हैं। साफ सुथरे कागज पर बड़े आकार के अक्षरों में मुद्रण होने से पढ़ने में सुविधा रहेगी। दक्षिण भारत से निकलने वाला अपने समय का यह पहला संग्रह है। पेपर बैक संस्करण 92 पृष्ठ का मूल्य 100 रुपए कुछ अधिक है। डॉ0 बिन्दू जी का हाइकु पर गम्भीर आलेख इस संग्रह की विशेष उपलब्धि है।
-(हाइकु दर्पण, अंक - 03 से साभार)
डॉ0 बिन्दूजी महाराज ‘बिन्दू’ का प्रथम हाइकु संग्रह ‘आचमन’ 2001 में प्रकाशित हुआ है। मुख पृष्ठ पर भगवान शिव का आकर्षक चित्र छापा गया है। प्रथम दृष्टि में पुस्तक ध्ाार्मिक पुस्तक सी लगती है। इस संग्रह में बिन्दू जी की 525 हाइकु कविताएँ हैं। बिन्दू जी से भविष्य में और अच्छे हाइकु मिलेंगे ऐसा विश्वास है। अधिकांश हाइकु दैनिक जीवन, राजनीति, आचार-विचार, क्षरण होते जा रहे मानवीय मूल्यों पर केन्द्रित हैं जिन्हें सरल भाषा और सपाट वयानी के साथ प्रस्तुत किया गया है। अधिकतर हाइकु सामान्य कथन से लगते हैं। कुछ ही हाइकु इस संग्रह में ऐसे हैं जो अपना प्रभाव छोड़ पाने में सक्षम हैं। साफ सुथरे कागज पर बड़े आकार के अक्षरों में मुद्रण होने से पढ़ने में सुविधा रहेगी। दक्षिण भारत से निकलने वाला अपने समय का यह पहला संग्रह है। पेपर बैक संस्करण 92 पृष्ठ का मूल्य 100 रुपए कुछ अधिक है। डॉ0 बिन्दू जी का हाइकु पर गम्भीर आलेख इस संग्रह की विशेष उपलब्धि है।
-(हाइकु दर्पण, अंक - 03 से साभार)
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