Friday, December 07, 2012

वामन पग


वामन पग


 सूर्यदेव पाठक ‘पराग’
भारतीय साहित्य संस्थान 181, आवास विकास कॉलोनी-1, गोरखपुर (उ.प्र.)
संस्करण-प्रथम 2002, पेपर बैक, पृष्ठ-48
मूल्य 35 रुपए।

 सूर्यदेव पाठक ‘पराग’ हिन्दी नवगीत के जानेमाने कवि हैं। लोक भाषा एवं लोकतत्व से उनका सीधा जुड़ाव है जो कविता के लिए संजीवनी शक्ति के समान है। हाइकु में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ‘वामन पग’ पराग जी की सद्य प्रकाशित हाइकु कविताओं का संग्रह है। इसमें 320 हिन्दी हाइकु कविताओं को प्रकाशित किया गया है। इसके साथ ही पुस्तक के अन्त में 16 भोजपुरी हाइकु, और 8 संस्कृत भाषा में लिखे गए हाइकु हैं। पराग जी की हाइकु कविताओं में प्रतीक और बिम्बों के साथ सर्वत्र काव्यत्व उपस्थित रहता है, यह गुण कविता के दीर्घजीवी होने के लिए आवश्यक है। जहाँ कहीं इसका अभाव है वहीं हाइकु कमजोर दिखाई देते हैं। इस संग्रह के कुछ अच्छे हाइकु दृष्टव्य हैं-

 भूखों ने फल / बटोहियों ने छाया / वृक्षों से पाया।   (पृ0-16)
 खिलने लगे / लाल अमलतास / जगा हुलास।    (पृ0-22)
 गुलाब कली / काँटन से छेदाई / तबे महँकी ।    (पृ0-45)
 श्रोतारः काकाः / पराजिता काकेन / अद्य कोकिला।  (पृ0-47)

 48 पृष्ठ की इस पुस्तक के पेपरबैक संस्करण का मूल्य 35 रुपए है।


-(हाइकु दर्पण, अंक - 03 से साभार)

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