Wednesday, December 05, 2012

वियोगिनी




वियोगिनी



 डा० रामनारायण पटेल

वियोगिनी- डॉ0 रामनारायण पटेल ‘राम’, मानस मंदिर प्रकाशन, ठाकुरदिया, पो0-नारंगपुर, जिला-रायगढ (छ.ग.), प्रथम सं. -1998 , पेपर बैक, पृष्ठ-64, मूल्य मुद्रित नहीं।


डॉ0 रामनारायण पटेल ‘राम’ का हाइकु छन्द में रचित खण्डकाव्य ‘वियोगिनी’ 1998 में प्रकाशित हुआ है। हाइकु कविता में अनेक प्रयोग निरन्तर होते रहे हैं। इनमें हाइकु गीत, हाइकु नवगीत, हाइकु गज़ल, हाइकु पहेलियाँ, हाइकु दो सुखने आदि। परन्तु हाइकु छन्द में खण्डकाव्य की रचना करना और उसे पूरी तरह से निभाना निश्चय ही कठिन कार्य है। सीता के वनवास के कथानक को लेकर सात सर्गों में रचनाकार ने इसे निबद्ध किया है। मंगलाचरण में 7 हाइकु, प्रथम सर्ग में 78, द्वितीय सर्ग में 89, तृतीय सर्ग में 82, चतुर्थ सर्ग में 74, पंचम सर्ग में 71, षष्ठ सर्ग में 100 एवं सप्तम् सर्ग में 71 हाइकु हैं। इस प्रकार कुल मिलाकर 572 हाइकु इस खण्डकाव्य के कथानक को प्रस्तुत करते हैं। रामकाव्य परम्परा में विविध छन्दों में समय-समय पर रामकाव्य या उसके अंशों को सृजन हेतु चुना जाता रहा है। हाइकु छन्द का पहली बार प्रयोग डॉ0 रामनारायण पटेल ने किया है और वह भी पूरी आस्था और सघन साधना के साथ। यह पुरातन और नवीन का अद्भुत संयोजन है। इस कृति की चर्चा होनी चाहिये ताकि पाठकों को इस विषयक जानकारी हो सके। विशेष रूप से हाइकु पाठकों को। कथासूत्र कहीं बिखर नहीं पाया है और भाषा में सरलता तथा संप्रेषणीयता बनी रही है। चतुर्थ सर्ग में लव कुश की बातों के कुछ अंश दृष्टव्य हैं-
लव औ कुश   / निर्भीक थे वन में    /   हाँ, निर्जन में।  (4/59)
हे लव भैया    /  माता से माँगें चाँद  / देखो संप्रिय ।    (4/61)
चलो न भैया   / फिर माँगेंगे रवि     /  कन्दुक खेलें ।   (4/62)
माँ ही खिलौना  / शशि-सूरज माँ ही / स्वयं तो खेल।     (4/65)
इतनी श्रेष्ठ कृति में यदि वर्तनीगत कुछ अशुद्धियाँ रह जायें तो वे खटकतीं हैं। इस पुस्तक में भी कुछ अशुद्धियाँ देखने को मिलीं जिन्हें दूर किया जा सकता था। जैसे- जुझने (अपनी बात), प्रतिक्षा (पृ.-9), रूक (पृ.-10), परिक्षा (पृ.-10), श्रृंगार (पृ.-11), ब्रम्हाण्ड (पृ.-13), रूचिर (पृ.-17), मुहुर्त (पृ.-33), चुम (पृ.-42), झुमते (पृ.-49), पूज्यनीय (पृ.-51) आदि। कुल मिलाकर इस कृति का भरपूर स्वागत होगा। पेपर बैक संस्करण में 64 पृष्ठ की इस पुस्तक का मूल्य मुद्रित नहीं है शायद छूट गया है। महत्वपूर्ण कृति के प्रकाशन पर डॉ0 रामनारायण पटेल को हार्दिक बधाई।

-(हाइकु दर्पण, अंक - 03 से साभार)




वामन पग - सूर्यदेव पाठक ‘पराग’, भारतीय साहित्य संस्थान 181, आवास विकास कॉलोनी-1, गोरखपुर (उ.प्र.), संस्करण-प्रथम 2002, पेपर बैक, पृष्ठ-48,  मूल्य 35 रुपए।

सूर्यदेव पाठक ‘पराग’ हिन्दी नवगीत के जानेमाने कवि हैं। लोक भाषा एवं लोकतत्व से उनका सीधा जुड़ाव है जो कविता के लिए संजीवनी शक्ति के समान है। हाइकु में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ‘वामन पग’ पराग जी की सद्य प्रकाशित हाइकु कविताओं का संग्रह है। इसमें 320 हिन्दी हाइकु कविताओं को प्रकाशित किया गया है। इसके साथ ही पुस्तक के अन्त में 16 भोजपुरी हाइकु, और 8 संस्कृत भाषा में लिखे गए हाइकु हैं। पराग जी की हाइकु कविताओं में प्रतीक और बिम्बों के साथ सर्वत्र काव्यत्व उपस्थित रहता है, यह गुण कविता के दीर्घजीवी होने के लिए आवश्यक है। जहाँ कहीं इसका अभाव है वहीं हाइकु कमजोर दिखाई देते हैं। इस संग्रह के कुछ अच्छे हाइकु दृष्टव्य हैं-
भूखों ने फल / बटोहियों ने छाया / वृक्षों से पाया।   (पृ0-16)
खिलने लगे / लाल अमलतास / जगा हुलास।    (पृ0-22)
गुलाब कली / काँटन से छेदाई / तबे महँकी ।    (पृ0-45)
श्रोतारः काकाः / पराजिता काकेन / अद्य कोकिला।  (पृ0-47)
48 पृष्ठ की इस पुस्तक के पेपरबैक संस्करण का मूल्य 35 रुपए है जो उचित है।


-(हाइकु दर्पण, अंक - 03 से साभार)




मन की बात - राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’
हर्ष प्रकाशन, निकट हनुमान मंदिर, रायबरेली    
(उ.प्र.), संस्करण-प्रथम 2002, पेपर बैक, पृष्ठ-32, मूल्य- 25 रुपए।

रायबरेली क्षेत्र के श्रेष्ठ हाइकुकार राजेन्द्र मोहन त्रिवेदी ‘बन्धु’ का सद्य प्रकाशित हाइकु संग्रह ‘मन की बात’ में विविध विषयों पर केन्द्रित कुल 336 हाइकु हैं। 21 पृष्ठों में 336 हाइकु कविताओं को सजाया गया है। अर्थात् एक पृष्ठ पर 16 हाइकु, इससे पुस्तक के हाइकु बहुत पास-पास हो गए हैं। एक पृष्ठ पर 5-6 हाइकु से अधिक रखना पुस्तक की सुन्दरता को बिगाड़ देता है। प्रारम्भ में हाइकु पर महत्वपूर्ण पठनीय सामग्री है। इस संग्रह में अनेक अच्छे हाइकु हैं जिनका पाठक स्वागत करेंगे-
खड़ा पीपल / औघड़ सा किनारे / गाँव का संत।  (पृ0-14)
पेड़ सहते / हर ऋतु की मार /धैर्य न खोते ।          (पृ0-17)
मेघों से झाँके / दुल्हन की तरह / जाड़े में सूर्य।    (पृ0-32)
कुल मिलाकर ‘मन की बात’ पाठकों को पसन्द आयेगी। इसके मुख पृष्ठ को और आकर्षक बनाया जा सकता था। 32 पृष्ठ के इस संग्रह का मूल्य 25 रुपए रखा गया है जो उचित है।


-(हाइकु दर्पण, अंक - 03 से साभार)



अकड़ू भुट्टा -  गोविन्द सेन
निखिल प्रकाशन, मनावर (धार), संस्करण-2002, पेपर बैक,
पृष्ठ -28, मूल्य- 15 रुपए।

कविता किसी भाषा विशेष तक सीमित होकर नहीं रहती। हाइकु कविता जापानी चित्रलिपि से बाहर निकलकर आज पूरे संसार की सैर कर रही है। हिन्दी की लगभग सभी बोलियों में हाइकु लिखे जा रहे हैं। यह प्रवृŸिा भाषाई ऊर्जा के लिए बहुत सुखद संकेत है। क्षेत्रीय बोलियाँ जीवन्त मुहावरों, लोकोक्तियों और स्थानीय शब्दों के प्रचुर भण्डार हैं।  गोविन्द सेन का ‘अकड़ू भुट्टा’ इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कार्य है। निमाड़ी बोली में यह कवि का प्रथम हाइकु संग्रह है।  संग्रह में 110 हाइकु कविताएँ हैं जो विशुद्ध निमाड़ी में लिखी गईं हैं। संग्रह के सभी हाइकु प्रभावशाली हैं निमाड़ी समझने वाले इसे बेहद पसन्द करेंगे और निकट भविष्य में निमाड़ी में और संग्रह पढ़ने को मिल सकेेंगे। कुछ हाइकु इस संग्रह से-
लागज़  वकऽ / घर मऽ माय-बाप / अटाळा जसा  । (पृ0-08)
साकटी जसी / पातळी पड़ी नद्दी / पाणी सूकाण्यो । (पृ0-20)
पेट भरातो / होतो रोटो यो चाँद / खातो खवातो  । (पृ0-26)
अकड़ू  भुट्टा / आखरी मऽ कुटाण्या / खळण्या नऽ सी। (पृ0-27)
खुद क ऽ तोल्यो / मन की ताकड़ी प ऽ / हळ्को निकळ्यो। (पृ0-27)
संग्रह के हाइकु लोक प्रचलित भाषाई संस्कारों से युक्त हैं इसलिए बेहद प्रभाव छोड़ते हैं। निमाड़ी शब्दों के कुछ अर्थ साथ में दिए गए हैं इससे संग्रह पढ़ने में सुविधा रहेगी। भूमिका निमाड़ी में न लिखकर हिन्दी में लिखी है इससे संग्रह निमाड़ी के अतिरिक्त अन्य पाठकों को भी पसन्द आयेगा। रचनाकार की यह दृष्टि उसके भाषागत समन्वय की परिचायक है। 32 पृष्ठ की इस पुस्तक का मूल्य मात्र 15 रुपए है जो सभी की पहुँच में है।


-(हाइकु दर्पण, अंक - 03 से साभार)



आस्था के दीप - सन्तोष कुमार सिंह
साहित्य संगम प्रकाशन, बी-45, मोतीकुंज एक्स0
मथुरा (उ0प्र0), संस्करण-प्रथम-2002 ई0, पेपर बैक, पृ0-32, मूल्य- 25 रुपए।

हाइकु कविता के संग्रह निरन्तर प्रकाशित हो रहे हैं। वर्ष 2002 के जाते-जाते सन्तोष कुमार सिंह का प्रथम हाइकु संग्रह ‘आस्था के दीप’ प्रकाशित हुआ है। संग्रह में कुल 300 हाइकु कविताएँ हैं।  हाइकुकार ने जहाँ चिंतन की अतल गहराई में डूबकर किसी बिंब को हाइकु का रूप दिया है, वे हाइकु   अच्छे हाइकु के रूप में अपनी पहचान बनाएँगे। कुछ हाइकु दृष्टव्य हैं-
काँस हैं फूले / वया ने डाल दिये / पेड़ों पे झूले। (पृ0- 14)
गाँव का हुक्का / महफिल की शान / बढ़ाये मान।   (पृ0-20)
पेंजनी बजीं / उमड़ पड़ा सिन्धु / ममता भरा।       (पृ0-22)
झाँझी तू बोल / गुम हो गये कैसे / टेसू के बोल।   (पृ0-27)
दुखी हो गात / अमावस सी लगे / चाँदनी रात।     (पृ0-29)
32 पृष्ठ के पेपर बैक संस्करण का मूल्य मात्र 25 रुपए हैं, जो आम पाठक की पहुँच में है।  इस संग्रह को हाइकु पाठक पसन्द करेंगे।


-(हाइकु दर्पण, अंक - 03 से साभार)

 



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मन के सहचर-
रमेश कुमार त्रिपाठी, प्रथम संस्करण २००३ ई , हार्ड बाउंड, पृष्ठ १०४, मूल्य १०० रुपए, प्रकाशक- उमेश प्रकाशन, १०० लूकरगंज, इलाहाबाद-१





मइनसे के पीरा (छत्तीसगढ़ी हाइकु संग्रह)-
प्रदीप कुमार दाश 'दीपक', प्रथम संस्करण २००० ई , प्रकाशक- छत्तीसगढ़ लेखक संघ, सरिया, मूल्य २५ रुपए।





मन के बोल -
डॉ रमेश कुमार त्रिपाठी, संस्करण-प्रथम-१९८९ ई , मूल्य-१० रुपए, पृष्ठ-६०, प्रकाशक- शशि प्रकाशन, ५, नंद नगर, बी ए़च य़ू व़ाराणसी (उ०प्र०)





मन बंजारा-
भास्कर तैलंग, प्रथम संस्करण २००३, पृष्ठ ३२, पेपरबैक, मूल्य २० रुपए, प्रकाशक- करैया प्रकाशन, ६२ जुमेराती, होशंगाबाद म०प्र०





मकड़जाल-
भास्कर तैलंग, प्रथम संस्करण मार्च २००४ ई , मूल्य ६० रुपए, पृष्ठ ८०, प्रकाशन- करैया प्रकाशन, ६२ जुमेराती, होशंगाबाद म०प्र०





मन की बात-
राजेंद्र मोहन त्रिवेदी 'बंधु', हर्ष प्रकाशन, निकट हनुमान मंदिर, रायबरेली उ०प्र० प्रथम संस्करण २००२, पेपर बैक, पृष्ठ ३२, मूल्य २५ रुपए।





मन के सहचर-
रमेश कुमार त्रिपाठी, प्रथम संस्करण २००३ ई , मूल्य १००, प्रकाशक- उमेश प्रकाशन, १०० लूकरगंज, इलाहाबाद।





मन की पीड़ा-
डॉ म़हावीर सिंह, प्रतिबिंब प्रकाशन, एम-२३, इंदिरा नगर, रायबरेली उ. प़्र. , प्रथम संस्करण २००१, पेपर बैक, पृष्ठ ४२, मूल्य ९० रुपए





मुखर मौन-
श्याम खरे, प्रथम संस्करण २००५ ई० , पेपरबैक, मूल्य ४० रुपए, पृष्ठ ५६, प्रकाशक- साहित्य संगम अव्यवसायिक, श्रमफल, १५२०, सुदामा नगर, इन्दौर-९, म०प्र०





मोनालिसा की मुस्कान-
नीलमेन्दु सागर, प्रकाशक- इलावर्त प्रकाशन, कृष्णदेवालय, ए.एस. गली नं. १, शिवगार्डन, सादतपुर, दिल्ली-94 प्रथम संस्करण २००५, पेपर बैक, पृष्ठ १३२, मूल्य १२५ रुपए।




रंगालय-
मनोज सोनकर, प्रथम संस्करण २००३ ई , मूल्य १०० रुपए, पृष्ठ ९६, हार्ड बाउंड, प्रकाशक- अभिरुचि प्रकाशन, ३/११४, कर्ण गली, विश्वास नगर, शाहदरा, दिल्ली ११००३२




रोली अक्षत-
रमेश कुमार सोनी, प्रथम संस्करण २००४ ई , मूल्य १०० रुपए, पृष्ठ ८०, पेपरबैक, प्रकाशक- वैभव प्रकाशन, २८०, उद्भव, सेक्टर ४, पं. दीनदयाल उपाध्याय नगर, डगनियाँ, रायपुर, छत्तीसगढ़, ISBN- 81-89244-12-4





रूढ़ियों का आकाश-
प्रदीप कुमार दाश 'दीपक', प्रथम संस्करण अगस्त २००३ ई ,मूल्य ३५ रुपए, पृष्ठ १६, प्रकाशक- मांडवी प्रकाशन, आर-१०, एफ/५९, राजनगर, गाजियाबाद उ०प्र०




लकड़ी का सपना-
डॉ स़ुधा गुप्ता, प्रथम संस्करण १९८९, द्वितीय संस्करण १९९९ ई , मूल्य १०० रुपए, पृष्ठ- १०४, प्रकाशक- श्री अमित अग्रवाल, काकली, १२०बी/२, साकेत, मेरठ २५०००३ उ०प्र०





विश्वभर से बच्चों के हाइकु :
हाइकु प्रवेशिका- डॉ० अंजलि देवधर, द्विभाषी संस्करण २००७, पृष्ठ-२४२, सम्पर्क- १२२४, सेक्टर ४२ बी, चण्डीगढ़ १६००३६, (भारत), मूल्य २०० रुपए




वियोगिनी-
डॉ ऱामनारायण पटेल 'राम', मानस मंदिर प्रकाशन, ठाकुरदिया, ऩारंगपुर, जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़, प्रथम संग्रह- १९९८, पेपर बैक, पृष्ठ-६४





वर्तमान की आंखें-
राम निवास पंथी, संस्करण प्रथम १९९९ ई ,मूल्य ५० रुपए, पृष्ठ- ४२, प्रकाशक- एकादश प्रकाशन २४१, इंदिरा नगर, रायबरेली उ०प्र०





वामन पग-
सूर्यदेव पाठक 'पराग', भारतीय साहित्य संस्थान १८१, आवास विकास कॉलोनी-१, गोरखपुर उ०प्र०, प्रथम संस्करण २००२, पेपर बैक, पृष्ठ ४८, मूल्य ३५ रुपए।





शब्दों के संधान-
डॉ० राजेन्द्र परदेसी, प्रथम संस्करण २००६ ई , पेपरबैक, मूल्य ६० रुपए, पृष्ठ ५८, प्रकाशक- भारतीय कला साहित्य संस्थान, विधुनगर, कोइलवर, भोजपुर बिहार





शेष बहुत कुछ-
डॉ० रामनिवास 'मानव', प्रथम संस्करण २००४ ई , सजिल्द, मूल्य १०० रुपए, पृष्ठ ८०, प्रकाशक- अमित प्रकाशन, के ब़ी ६७, कविनगर, गाजियाबाद २०१००२ उ०प्र०





सरगम-
डा० महावीर सिंह, प्रथम संस्करण २००४ ई , मूल्य ६५ रुपए, पृष्ठ ५८, पेपरबैक, प्रकाशक- प्रतिबिम्ब प्रकाशन, इन्दिरा नगर, रायबरेली, उ०प्र०





सन्नाटा खिंचे दिन-
शैल रस्तोगी, प्रथम संस्करण २००१ ई , मूल्य ७५ रुपए, प्रकाशक- साहित्य वीथी प्रकाशन २७/१११ विश्वास नगर शाहदरा, दिल्ली ३२




संगम- संपादक-
राजेंद्र मोहन त्रिवेदी 'बंधु', प्रथम संस्करण २००३ ई , मूल्य ८०, पृष्ठ ७२, प्रकाशक- परममित्र प्रकाशन, डी पॉकेट, २१४ दिलशाद गार्डन, दिल्ली ११००९५।





सर्वमंगला-
नलिनीकांत, प्रथम संस्करण २००१ ई , मूल्य ४० रुपए, पृष्ठ ८०, प्रकाशक- कविताश्री प्रकाशन, उत्तम बाख्रजार, अण्डाल, पश्चिम बंगाल-७१३३२१।




हिंदी के सर्वश्रेष्ठ हाइकु-
संपादक- रमाकांत, मांडवी प्रकाशन, आर-१०, एफ/५९, राजनगर, गाजियाबाद उ०प्र०, प्रथम
संस्करण २००२, पक्की जिल्द, पृष्ठ ९६, मूल्य १०० रुपए।




हिंदी हाइकु :
इतिहास और उपलब्धि- संपादक- डॉ रामनारायण पटेल 'राम', प्रथम संस्करण २००३ ई , मूल्य १२५ रुपए, पृष्ठ १३६, प्रकाशक- छत्तीसगढ़ लेखकमंच, सरिया, जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़





हिंदी हाइकु कविता : शैल्पिक वैशिष्ट्य एवं प्रयोग-
संपादक- रामनिवास पंथी, प्रथम संस्करण जनवरी २००२ ई , मूल्य ५० रुपए, पृष्ठ ६४, प्रकाशक- मांडवी प्रकाशन, आर-१०, एफ/५९, राजनगर, गाजियाबाद उ०प्र०




हाइकु 1989-
संपादक - कमलेश भट्ट कमल



हाइकु 1999-
संपादक - कमलेश भट्ट कमल




हाइकु 2009-
संपादक - कमलेश भट्ट कमल, छत्तीसगढ़ लेखक संघ, प्रकाशन संस्थान, 4268-B/3, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली-110002, प्रथम संस्करण-2010, मूल्य- 200 रुपये,  हार्ड बाउंड, पृष्ठ 158,
ISBN 81-7714-366-2



हाइकु मंजरी-
संपादक- डॉ ऱामनारायण पटेल, छत्तीसगढ़ लेखक संघ, सरिया, जिला रायगढ़ छत्तीसगढ़, प्रथम संस्करण २००१ ई , पेपर बैक, पृष्ठ ४४, मूल्य ५० रुपए।





हाइकु वाटिका-
संपादक- प्रदीप कुमार दाश 'दीपक', प्रथम संस्करण फरवरी २००४ ई., मूल्य १०० रुपए, पृष्ठ १२८, हार्ड बाउंड, प्रकाशक- मांडवी प्रकाशन, आर-१०, एफ/५९, राजनगर, गाजियाबाद उ०प्र०




हाइकु सप्तक-
संपादक- प्रदीप कुमार दाश 'दीपक', प्रथम संस्करण फरवरी २००६ ई., मूल्य १०० रुपए, पृष्ठ १२८, हार्ड बाउंड, प्रकाशक- मांडवी प्रकाशन, आर-१०, एफ/५९, राजनगर, गाजियाबाद उ०प्र०



हाइकु अध्ययन की दिशाएँ-
डा० सतीशराज पुष्करणा, प्रथम संस्करण- २००६ ई , मूल्य १२५ रुपए, पृष्ठ ९२, हार्ड बाउंड, प्रकाशक- पुष्करणा ट्रेडर्स, लघुकथा नगर, महेन्द्रू, पटना बिहार




हाइकु शब्द छवि-
नलिनीकांत, प्रथम संस्करण २००४ ई , मूल्य ५० रुपए, पृष्ठ १०८, प्रकाशक- कविताश्री प्रकाशन, उत्तम बाजार, अण्डाल, पश्चिम बंगाल-७१३३२१





हाइकु गीतवीणा-
नलिनीकांत, प्रथम संस्करण २००५ ई , मूल्य ५० रुपए, पृष्ठ १००, प्रकाशक- कविताश्री प्रकाशन, उत्तम बाजार, अण्डाल, पश्चिम बंगाल-७१३३२१






हूँ भी नहीं भी-
भगवतशरण अग्रवाल, प्रथम संस्करण २००४ ई० , मूल्य १०० रुपए, पृष्ठ ७२, प्रकाशक- हाइकु भारती प्रकाशन, ३९६, सरस्वती नगर, आजाद सोसाइटी के पास, अहमदाबाद ३८००१५





क्षणांश-
रमेश चंद्र शर्मा 'चंद्र', प्रथम संस्करण २००१ ई , मूल्य १२० रुपए, पृष्ठ १६०, प्रकाशक- मनोरमा शर्मा, डी-४, उदय हाउसिंग



सदा रहे जो - डा० मिथिलेश दीक्षित
(हाइकु संग्रह)
माण्डवी प्रकाशन, 88 रोगनग्रान, देहली गेट, गाजियाबाद
संस्करण-प्रथम-2010 ई0
पक्की जिल्द, पृ0-96
मूल्य- 150 रुपए
ISBN-81-8212-040-3


तराशे पत्थरों की आँख - डा० मिथिलेश दीक्षित
(हाइकु संग्रह)
माण्डवी प्रकाशन, 88 रोगनग्रान, देहली गेट, गाजियाबाद
संस्करण-प्रथम-2010 ई0
पक्की जिल्द, पृ0-96
मूल्य- 150 रुपए
ISBN-81-8212-041-1


अमर बेल - डा० मिथिलेश दीक्षित
(हाइकु संग्रह)

माण्डवी प्रकाशन, 88 रोगनग्रान, देहली गेट, गाजियाबाद
संस्करण-प्रथम-2011 ई0
पक्की जिल्द, पृ०-80
मूल्य- 200 रुपए

ISBN-81-8212-095-0



एक पल के लिए - डा० मिथिलेश दीक्षित
(हाइकु संग्रह)

माण्डवी प्रकाशन, 88 रोगनग्रान, देहली गेट, गाजियाबाद
संस्करण-प्रथम-2011 ई0
पक्की जिल्द, पृ०-96
मूल्य- 200 रुपए

ISBN-81-8212-096-9




लहरों पर धूप - डा० मिथिलेश दीक्षित
(हाइकु संग्रह)

उत्तरायण प्रकाशन, एम-168 आशियाना, लखनऊ-226012
संस्करण-प्रथम-2011 ई0
पक्की जिल्द, पृ०-88
मूल्य- 200 रुपए


स्वर विविध क्षण बोध के - डा० मिथिलेश दीक्षित
(हाइकु संग्रह)

डा० मिथिलेश दीक्षित, 536 A/2, शिकोहाबाद
संस्करण-प्रथम- 1996 ई0
पेपरबैक, पृ०-80
मूल्य- 60 रुपए






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