मुखर मौन
हाइकुकार- श्याम खरे
संस्करण-2005
मूल्य- 40 रुपए
प्रकाशक- साहित्य संगम ‘श्रमफल’
1520-सुदामानगर, इंदौर-9
मुखर मौन-श्याम खरे की 162 हाइकु कविताओं का संग्रह है। अपने आस-पास के सामाजिक परिवेश के साथ-साथ अनेक मानवीय स्थितियों के चित्रण इन हाइकु कविताओं में किए गए हैं। जहाँ सामाजिक व राजनैतिक विसंगतियों पर भी हाइकुकार ने अनेक प्रश्न उठाए हैं, वही प्रकृति के विशुद्ध चित्रण भी हाइकु कविताओं में हुए हैं। जिन हाइकुओं में उपदेश या समसामयिक व्यंग्य को अधिक महत्व न देकर अनुभूति के किसी क्षण विशेष का चित्रण जाता है, वह एक अच्छा हाइकु माना जाता है। ऐसे ही कुछ हाइकु इस संग्रह में भी हैं-
पत्तों पे मोती दिखे
हाथ में पानी
ले कर आई
वंसत की आहट
तुम्हारी याद
शिशु मुस्काएँ
आँखों से प्रभु कहे
यही तो हूँ मैं
सूरज पूछे
शबनम के स्वप्न
बिखरे कैसे?
वृक्ष छूटते
पैरों से रौंदी जाती
सूखी पत्तियाँ
-( हाइकु दर्पण अंक - 6 से )
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